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जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा परसपुर भूमि प्रकरण की जांच हेतु उच्चस्तरीय समिति का गठन

अपर जिलाधिकारी, गोंडा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति को सौंपी गई जिम्मेदारी

जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा परसपुर भूमि प्रकरण की जांच हेतु उच्चस्तरीय समिति का गठन

अपर जिलाधिकारी, गोंडा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति को सौंपी गई जिम्मेदारी

गोंडा।नगर पंचायत परसपुर अंतर्गत गाटा संख्या 559 एवं 743 से संबंधित एक गंभीर शिकायत के परिप्रेक्ष्य में जिलाधिकारी गोण्डा श्रीमती नेहा शर्मा द्वारा त्वरित संज्ञान लेते हुए शनिवार को एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है।

अनिल कुमार पुत्र मोतीलाल, मुस्तफा व इब्राहीम पुत्रगण वाजिद अली आदि की ओर से प्राप्त शिकायती पत्र में आरोपित किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा कूटरचित इकरारनामा तैयार कर उपर्युक्त गाटों का विक्रय फर्जी एवं अवैध तरीके से किया गया है। साथ ही यह भी आरोप है कि विपक्षी पक्ष द्वारा संगठित रूप से विद्यालय, कब्रिस्तान, पुरानी आबादी तथा अन्य व्यक्तियों की स्वामित्वाधीन भूमि पर भी अनधिकृत रूप से कब्जा कर फर्जी विक्रय किया जा रहा है। शिकायत में कुछ बाहरी जनपदों के व्यक्तियों की संलिप्तता का भी उल्लेख किया गया है।

उल्लेखनीय है कि विगत दिनों नगर पंचायत परसपुर क्षेत्र में भूमि क्रय-विक्रय से संबंधित जालसाजी एवं धोखाधड़ी की घटनाएं सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों से भी प्रशासन के संज्ञान में आई हैं। उक्त प्रकरण प्रथम दृष्टया अत्यंत गंभीर प्रकृति का प्रतीत होने के कारण जिलाधिकारी द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति गठित कर विस्तृत जांच कराए जाने का निर्णय लिया गया है।

गठित समिति निम्नवत् है:

1. अपर जिलाधिकारी, गोंडा – अध्यक्ष

2. उप जिलाधिकारी, करनैलगंज – सदस्य

3. सहायक महानिरीक्षक निबंधन, गोंडा – सदस्य

4. बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, गोंडा – सदस्य

 

उक्त समिति को निर्देशित किया गया है कि वह संपूर्ण प्रकरण की गहनता से जांच कर शिकायती पत्र में वर्णित बिंदुओं पर तथ्यात्मक रूप से परीक्षण करते हुए दिनांक 22 अप्रैल 2025 तक जांच आख्या उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने स्पष्ट किया है कि जनहित से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की अनियमितता, कूटरचना अथवा अवैध क्रियाकलापों को प्रशासनिक स्तर पर किसी भी स्थिति में सहन नहीं किया जाएगा। दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी तथा पीड़ितों को विधिसम्मत न्याय प्रदान करना प्रशासन की प्राथमिकता होगी।

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