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वन महोत्सव: घटते वन, बढ़ती समस्याएं, प्रकृति के प्रति असंवेदनशील हो रहा मानव

पर्यावरण गोष्टी एवं वृक्षारोपण क्षेत्र के सम्मानित कृषकों एवं महिला कृषकों की उपस्थिति में संपन्न हुआ

वन महोत्सव: घटते वन, बढ़ती समस्याएं, प्रकृति के प्रति असंवेदनशील हो रहा मानव

दीनदयाल शोध संस्थान लाल बहादुर शास्त्री कृषि विज्ञान केंद्र गोपालग्राम गोंडा में 1 जुलाई से 7 जुलाई तक वन महोत्सव बनया जा रहा है l इसी क्रम में आज 6 जुलाई को पर्यावरण गोष्टी एवं वृक्षारोपण क्षेत्र के सम्मानित कृषकों एवं महिला कृषकों की उपस्थिति में संपन्न हुआ जिसमें प्रगतिशील कृषक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रांत के ग्रामीण विकास प्रमुख आदरणीय ओम प्रकाश पांडे जी ने अपने संबोधन में बताया की हमारा शरीर जिन पांच तत्वों से बना है वह पर्यावरण स्वरूप है तथा हमारे शरीर के बाहर जो भी आवरण है वह पर्यावरण है प्रकृति द्वारा प्रदत्त जल संपदा ,जनसंपदा ,भूमि संपदा ,जीव संपदा ,ऊर्जा संपदा ,गोवंश संपदा ,वन संपदा पर्यावरण के अंग है जिसमें वन संपदा ऐसी संपदा है जिससे प्रकृति का संतुलन बना रहता है

इसलिए वृक्षों का रोपण जरूर करें क्योंकि वृक्ष हमें ऑक्सीजन , फल ,छाया एवं अन्य बहुत कुछ निशुल्क प्रदान करते हैं आज हम सभी एक पेड़ मां के नाम लगाकर पर्यावरण को बचाने का काम करें l इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर आशीष कुमार पांडे ने बताया कि प्रतिवर्ष पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से जुलाई माह के पहले सप्ताह में ‘वन महोत्सव’ मनाया जाता है। वन महोत्सव का अर्थ है वृक्षों का महाउत्सव यानी पेड़ों का त्योहार, जो प्राकृतिक परिवेश तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदन शीलता की अभिव्यक्त करता हैं ll दरअसल, प्रकृति के असंतुलन का सबसे बड़ा कारण वनों तथा वन्य जीवों की घटती संख्या हैl केन्द्र के वैज्ञानिक श्री सुधांशु ने बताया की इनके संरक्षण हेतु दिल्ली में सघन वृक्षारोपण के लिए आंदोलन की अनौपचारिक शुरुआत जुलाई 1947 में ही हो गई थी, लेकिन देशभर में वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से ‘वन महोत्सव’ की शुरुआत 1950 में भारत के तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा की गई थी। दरअसल, वन न केवल जीव-जंतुओं की हजारों-लाखों प्रजातियों के प्राकृतिक आवास हैं, बल्कि प्रकृति और मानव जीवन में संतुलन बनाए रखने में भी इनकी भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है l इस कार्यक्रम का संचालन संत कुमार त्रिपाठी ने किया तथा इस अवसर पर हरिपाल सिंह,शशि बाला सिंह, राहुल शुक्ला तथा क्षेत्र के कृषक एवं महिला कृषक उपस्थित रहें l

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