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आश्वासनों के बीच बदहाली का आंसू बहा रहा इटियाथोक-बाबागंज मार्ग

खस्ताहाल ग्रामीण सड़कें खोल रही विकास की पोल

 

इटियाथोक,गोंडा। मर्ज आज है और दवा सालों बाद मिले,तो उसका कोई फायदा नहीं होता है।यहीं हालात वर्तमान में इटियाथोक-बाबागंज मुख्य मार्ग सहित
गांवों को ब्लॉक मुख्यालय से जोड़ने वाली अधिकांश ग्रामीण सड़कें खस्ताहाल हो चुकी है।करीब सात से दस साल पहले की बनी कई सड़कों की आज तक मरम्मत नहीं हुई है।इटियाथोक कस्बा स्थित रेलवे स्टेशन की सड़क का नामोनिशान समाप्त हो गया है। यहां तक कि गड्ढे और सड़क का फर्क नजर आना बंद हो गया है।बावजूद इसके मरम्मत के लिए अभी तक कार्य शुरू नहीं हो सका है। केवल हवा-हवाई वादों और आश्वासनों में ही सड़क दुरुस्त हो रही है।जनप्रतिनिधि भी लगातार प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजने का दावा ठोक रहे हैं।लेकिन, धरातल पर शून्य है।

*ग्रामीण सड़कें खस्ता हाल, जिम्मेदार बने अनजान*

गोसेद्रपुर से परसिया गांव होते हुए बाबागंज मुख्य मार्ग तक गुजरने वाली ग्रामीण सड़क पूरी तरह जर्जर है।चुरिहार पुर से गजाधर पुर गांव तक की सड़क की मरम्मत का काम नहीं होने से राहगीरों का आवागमन मुश्किलों भरा है। कुछ ऐसी ही स्थिति वेदपुर माफी गांव के संपर्क मार्ग की है।वहीं करमडीह कला पंचायत स्थित सदाशिव बाजार के मुख्य चौराहा से रुदापुर गांव को जाने वाली सड़क का बुरा हाल है। परसिया बहोरीपुर पंचायत के शंकर चौराहा से बहोरी पुर गांव को जानेवाली सड़क भी जर्जर हालात पर आंसू बहाने को विवश हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि सरकार गांवों के विकास के लिए कई योजनाएं धरातल पर उतार देती है,लेकिन उचित रख रखाव व समय पर मरम्मत नहीं हो पाने के कारण जन सरोकार से जुड़ी योजनाओं की हालत धीरे -धीरे बेहाल हो जाती है।क्षेत्र के पंकज,राम करन,जुबेर, दिनेश,हसीब, मोहम्मद सलमान,अनवर, राजाराम आदि का कहना है कि ग्रामीण सड़कों की हालत सुधारने के लिए ना तो जनप्रतिनिधि और न ही प्रशासनिक महकमे के अधिकारी ध्यान देते हैं।चुनाव के समय तो बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद सब हवा -हवाई हो जाता है।

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