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जिले में एमडीए अभियान की हकीकत जानने आई केंद्र सरकार की टीम
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत केंद्रीय टीम ने परखी हकीकत
गोंडा। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत चल रहे ‘सर्वजन दवा सेवन अभियान’ की हकीकत जानने के लिए बुधवार को भारत सरकार की दो सदस्यीय टीम जिले में पहुंची।डॉ डीएन गिरी एवं डॉ एन केसरी की टीम ने पहले दिन नवाबगंज के प्राथमिक विद्यालय रमई का पुरवा, जूनियर हाईस्कूल हरिवंश पुर तथा काजी देवर के दौलतपुर में एमडीए अभियान की हकीकत परखने के साथ सीएचसी वजीरगंज में लैब व दवाओं की उपलब्धता का गहन पर्यवेक्षण किया।टीम ने गांवों में घर-घर जाकर आशा द्वारा दवा सेवन कराये जाने के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कुछ घरों के परिवारों से दवा सेवन करने के बारे में पूछा कि उन्हें आशा द्वारा दवा वितरित किया गया या आशा ने अपने सामने ही दवा खिलाया। टीम ने पाया कि किसी को भी दवा का वितरण नहीं किया गया है, सभी को आशा कार्यकर्ता ने अपने सामने ही दवा खिलाई है। टीम ने अभियान में लगी कर्मियों के पास दवा, चाक, मार्कर और बुकलेट की उपलब्धता तथा घरों पर मार्किंग का भी गहन पर्यवेक्षण किया।इस दौरान उन्होंने कहा,कि दवा बांटी न जाए और दवा खिलाने के बाद उंगली पर निशान अवश्य लगाया जाए। प्रतिरोधी परिवारों की सूची बनाकर ग्राम विकास अधिकारी और एडीओ पंचायत को देकर सुनिश्चित किया जाए कि सभी लोगों को दवा का सेवन करा दिया गया है।
विद्यालयों में भ्रमण के दौरान डॉ डीएन गिरी एवं डॉ एन केसरी ने बच्चों से बातचीत के दौरान बताया,कि फाइलेरिया को हाथी पांव भी कहते हैं। क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली यह एक लाइलाज बीमारी है, जो अगर किसी को हो गया, तो ठीक नहीं होता और व्यक्ति को आजीवन दिव्यांग जीवन जीना पड़ता है। बीमारी होने के बाद इसका केवल प्रबंधन ही किया जा सकता है।फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन ही इस बीमारी से बचाव का एकमात्र उपाय है। फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं।हालांकि, इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है परंतु, किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं, तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं, जोकि इन दवाओं के सेवन के उपरांत इन परजीवियों के नष्ट होने के कारण उत्पन्न होते हैं। सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते है परंतु ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए प्रशिक्षित रैपिड रिस्पॉन्स टीम तैनात है, और उन्हे तुरंत उपचार के लिए बुलाया जा सकता है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सीके वर्मा ने बताया,कि अभियान की शत-प्रतिशत सफलता के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं, कि दवा का सेवन अपने सामने ही कराएं बाद में खाने के लिए न दें।अगर कहीं दवा रखी मिली या परिवार ने कहा कि हमको बाद में खाने के लिए दी गई है, तो संबंधित टीम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने बताया कि अब तक जिले में 24.92 लाख लोगों ने फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर लिया है, बचे हुए लोगों को भी जल्द ही दवा का सेवन करा दिया जायेगा।वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वजीरगंज के अधीक्षक डॉ आशुतोष शुक्ल ने बताया,कि ब्लॉक की आबादी 02 लाख 18 हजार है, जिसमें से 01 वर्ष से कम उम्र बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गम्भीर बीमारी से ग्रसित लोगों को छोड़कर 85 प्रतिशत जनसंख्या को दवा खिलाने लिए 184 टीमें और 34 पर्यवेक्षक लगाए गए हैं। अब तक 76 फीसदी लोगों को दवा का सेवन कराया जा चुका है।इस मौके पर महामारी विशेषज्ञ हसन इफ़्तख़ार, हेल्थ सुपरवाइजर आरए शुक्ल व मलेरिया इंस्पेक्टर सुनील कुमार चौधरी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।