कार्तिक पूर्णिमा पर मनवर उद्गम स्थल में हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
जहां मन रमे वहीं मनोरमा और जहां मन का मांगा वर मिले वही मनवर है
इटियाथोक, गोंडा। कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के अवसर पर तिर्रे-मनोरमा में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मनवर उद्गम स्थल पर पहुंच कर स्नान करने के बाद भगवान शिव को जल अर्पित कर पूजा-अर्चना की। यह पवित्र स्थान ब्रह्मज्ञानी नचिकेता के पिता ऋषि उद्दालक मुनि की तपोभूमि है।यहां के बारे में कहा जाता है,कि जहां मन रमे वहीं मनोरमा और जहां मन का मांगा वर मिले वही मनवर है।यहां पर एक विशाल सरोवर है।जहां से एक पवित्र नदी निकलती है।जिसे मनवर या मनोरमा के नाम से जाना जाता है।इस स्थान के उत्पत्ति की कथा धर्म ग्रंथो में विस्तार से वर्णित है।किंवदंती के अनुसार राजा दशरथ ने यहां पुत्रेष्टि यज्ञ करते समय श्रृंगी ऋषि ने सरस्वती देवी का आह्वान मनोरमा के नाम से किया था।इससे वे मनोरमा नदी के रुप में प्रकट हुईं।इस स्थान पर प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में पूर्णमासी को विशाल मेला लगता है।श्रद्धालु यहां आकर सरोवर में स्नान कर दान कर पुण्य कमाते हैं।यहां प्राचीन राम-जानकी व शिव मंदिर औऱ सरोवर आज भी देखने को मिलता है।शुक्रवार भोर से ही लोग घाट पर पहुंचने लगे थे।लोगों ने सूर्योदय के पूर्व और बाद में घाट पर पहुंच कर स्नान-ध्यान कर मंदिर में पूजा-अर्चना की।कई श्रद्धालु दूर-दराज से आने के चलते घाट पर ही अपना डेरा जमाए रहे।सूर्य की पहली किरण के साथ हजारों भक्तों ने आस्था की डुबकी लगा भगवान भास्कर को नमन किया।महिलाओं और पुरुषों का जत्था गुरुवार की रात से घाटों पर अपना डेरा जमाने लगे थे।
पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की भीड़ घाट पर दिखी।स्नान करने के लिए पहुंची महिलाओं ने स्नान के बाद भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देकर नमन किया।यहां के नकुल सिंह ने बताया,कि मेले में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है।सैकड़ों दुकानें मेले से दो दिन पूर्व ही लगी हैं। मेले में सर्कस,नृत्य,झूले,प्रदर्शनी व मिठाइयों की दुकानें आकर्षण का मुख्य केंद्र बिंदु रहीं।यहां का चीनी से निर्मित मिठाई गट्टा और बरसोला दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।इसी कड़ी में मेहनौन स्थित ईश्वर नंद कुट्टी व जयप्रभा ग्राम के अमृत सरोवर पर धुसवा मेला में भारी भीड़ रही।ग्राम प्रधान दीप नारायण तिवारी, ओमप्रकाश तिवारी, नंदकुमार ओझा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।