पृथ्वी नाथ मंदिर में भीमेश्वर महादेव के जलाभिषेक को उमड़े कांवड़िये
जलाभिषेक को उमड़े लाखों कांवड़िये
इटियाथोक,गोंडा। कजरी तीज पर शुक्रवार को खरगूपुर स्थित पांडव कालीन भीमेश्वर महादेव मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं ने देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक किया।जलाभिषेक के लिए गुरुवार से ही कांवड़ियों का जत्था पृथ्वी नाथ मंदिर परिसर में एकत्र होने लगा था।ये सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा। भादों मास के शुक्लपक्ष तृतीया पर शुक्रवार को जिले में कजरी तीज पर्व श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।रात में हुई बारिश और दिन में चिलचिलाती धूप व भीषण गर्मी भी श्रद्धालुओं के आस्था को डिगा न सकी।प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी खरगूपुर के ऐतिहासिक पांडवकालीन पृथ्वी नाथ मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली।
मौसम की परवाह किए बगैर कांवड़ियों का जत्था पैदल ही पृथ्वीनाथ मंदिर पहुंचा।जहां कांवड़ियों ने अपने आराध्य देव का दुग्ध, गंगाजल, शहद, रोली, चंदन, अक्षत, बेलपत्र, मदार, धतूरा, गांजा के साथ ही सरयू नदी से जल लाकर जलाभिषेक किया।बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण मंदिर परिसर से लेकर खरगूपुर नगर तक वाहनों की कतारें देखने को मिलीं।वहीं महिलाओं ने माता गौरी व भगवान गणेश को सिंदूर व अक्षत चढ़ाकर विधिविधान पूर्वक पूजन कर सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद मांगा।
कजरी तीज पर पृथ्वी नाथ मंदिर परिसर में उमड़े श्रद्धालुओं के हुजूम को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किये थे।गत वर्ष की तुलना में इस बार यातायात, पार्किंग व महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था की लोगों ने सराहना की। प्रशासन की ओर से पेयजल के लिए टैंकर, चिकित्सा व्यवस्था के लिए कैंप व खोया पाया केंद्र बनवाया गया था।
*एशिया का सबसे विशाल शिवलिंग पृथ्वी नाथ मंदिर*
खरगूपुर नगर पंचायत से पश्चिम दिशा में स्थित पृथ्वीनाथ मंदिर में भगवान शिव के साक्षात दर्शन होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, पांडवों के अज्ञातवास के दौरान यहां भीम द्वारा स्थापित साढ़े पांच फुट ऊंचा एशिया महाद्वीप का सबसे विशाल व अद्भुत शिवलिंग है।महाभारत काल में युधिष्ठिर सहित पांचों पांडव अपनी मां कुंती के साथ यहां पर आए थे। इस क्षेत्र के लोग ब्रह्म राक्षस से पीड़ित थे।भीम ने उसका वध कर दिया था।अभिशाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के मार्गदर्शन के बाद शिव की उपासना के लिए शिवलिंग की स्थापना की थी।
*जमीन के अंदर 64 फीट गहराई में सात अरघों वाला अद्भुत शिवलिंग*
पुरातत्वविदों की मानें तो एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा शिवलिंग है।जिसकी जमीन के अंदर 64 फीट गहराई ,जबकि जमीन के ऊपर अरघे समेत साढ़े पांच फीट ऊंचा है।जानकारों की मानें तो खरगूपुर के राजा गुमान सिंह के अनुमति से यहां के पृथ्वी सिंह ने मकान निर्माण के लिए खुदाई शुरू की, उसी रात स्वप्न में पता चला कि जमीन के नीचे सात खंडों में शिवलिंग है। स्वप्न के अनुसार उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया तभी से इस मंदिर का नाम पृथ्वीनाथ मंदिर पड़ा। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होने के साथ ही पृथ्वीनाथ मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। मंदिर के पुजारी जगदंबा प्रसाद तिवारी ने बताया कि वैसे यहां तो प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। यद्यपि श्रावणमास व हर तीसरे साल पड़ने वाले अधिमास मे यहां लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि पर्व व कजरी तीज के अवसर पर यहां की बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को करीब पांच से छह किलोमीटर तक बैरिकेडिंग करनी पड़ती है।