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योग संगोष्ठी:ज्ञान और अनुभव का संगम विषय पर आयोजित की गयी

योग संगोष्ठी:ज्ञान और अनुभव का संगम विषय पर आयोजित की गयी

योग संगोष्ठी:ज्ञान और अनुभव का संगम विषय पर आयोजित की गय


गोंडा।माँ पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में एम एल के महाविद्यालय के बी एड विभाग में योग संगोष्ठी:ज्ञान और अनुभव का संगम विषय पर आयोजित की गयी। कार्यक्रम की प्रस्तावना बी एड विभाग के छात्र मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया , योग का प्रभाव शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक एवम सामाजिक जीवन पर क्या है और कैसे योग के माध्यम से विश्व में एक बहुत ही प्राचीन परंपरा द्वारा नये रूप में सामाजिक क्रांति का संचार हो रहा है। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी प्रो राघवेंद्र सिंह ने योग के क्षेत्र में हुए विभिन्न अनुसंधान के जो सकारात्मक निष्कर्ष प्राप्त हुए हैं उन पर क्रमवार चर्चा की और विभिन्न योग, प्रणायाम् जैसे अनुलोम विलोम, कपालीभाँति, भस्त्रिका, सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, आदि के प्रभाव की चर्चा की। डॉ पंकज गुप्ता ने के एन उडुप्पा, डॉ रुडोल्फ वैलेस के शोध का दृष्टांत देते हुए बताया कि प्रणायाम् किस प्रकार मानसिक अवसाद रोकने में सहायक है डॉ लवकुश पांडे जी ने कहा कि शोध निष्कर्ष जो हमें प्राप्त हैं उन पर आगे कार्य बढ़ाने की आवश्यकता है। डॉ के के सिंह ने बताया कि सन्यासी मँगलतीर्थ ने सन् 1998 अपने अध्यन में यह पाया था कि योगनिद्रा से एल्फा किरणों की प्रबलता से मानसिक शक्ति प्राप्त होती है जो कि अन्य अध्यनों मे भी सिद्ध हो चुका है। इस अवसर पर नारायण सिंह, एवम अन्य उपस्थित रहे।

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