62 साल पुरानी रामलीला की परंपरा को यहां के युवाओं ने रखा है बरकरार
जिले का एक ऐसा गांव जहां ज्यादातर घरों में हैं रामलीला के कलाकार
जिले का एक ऐसा गांव, जहां घर-घर प्रभु श्रीराम का गुणगान है। यहां की जीवनशैली में प्रभु की लीला व्याप्त है।गांव के ज्यादातर घर में राम, लक्ष्मण से लेकर रावण व अन्य की भूमिका निभाने वाले कलाकार हैं। इनकी कलाकारी और संवाद में प्रवाह इस कदर कि निभाए गए पात्रों का चरित्र और उनका व्यक्तित्व एकरूप हो जाता है। यह गांव है इटियाथोक विकासखंड का करुवापारा। करीब पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में दर्जनों कलाकार हैं। आसपास के इलाकों में इसे ‘रामलीला वाला गांव’ कहा जाता है।
इटियाथोक,गोंडा। आधुनिकता के इस युग में भी ग्राम करुवापारा में रामलीला की परंपरा बरकरार है। इटियाथोक ब्लॉक के ग्राम करूवापारा में रामलीला मंचन का इतिहास काफी पुराना है।यहां करीब 62 साल पहले गांव के स्व. बाला प्रसाद व राजित राम दूबे ने रामलीला मंचन की शुरुआत की थी।पुरखों द्वारा शुरु की गई इस विरासत को अब गांव के युवा संभाले हुए हैं और नई पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रही है।रामलीला प्रबंध समिति में वर्तमान में 37 की संख्या में कलाकार है जो रामायण से जुड़े सभी किरदारों का जीवंत अभिनय कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। हर साल नवरात्रि के अवसर पर रामलीला का मंचन किया जाता है।
*1963 से होता आ रहा है मंचन*
रामलीला मंचन में विगत पन्द्रह सालों से श्रीराम का किरदार निभाने वाले मंडली के सदस्य अरविंद मिश्र बताते हैं कि गांव में विगत 62 वर्षों से राम लीला का मंचन होता आ रहा है। इसकी नींव 1963 में स्वर्गीय बाला प्रसाद और राजित राम दूबे ने रखी थी। रामलीला प्रबंध समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष लाल जी पांडे बताते हैं कि पूर्वजों के समय से चली आ रही रामलीला के मंचन को अब गांव के युवाओं द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है, जिसे जनता का भरपूर प्यार और सहयोग मिल रहा है। युवाओं द्वारा किए जा रहे जीवंत अभिनय ने सब का मन मोह लिया है।आजकल के टीवी और मोबाइल के जमाने मे भी जिस तरह से रामलीला मंचन को लोगों का सहयोग व प्यार मिल रहा है यह अत्यंत हर्ष की बात है।रामलीला मंडली व प्रबंध समिति के अध्यक्ष काशी प्रसाद ओझा व अंबरीश द्विवेदी बताते हैं कि पहले तो रामलीला का मंचन पंद्रह दिनों तक होता था।आज बदलाव का दौर हैं और समय का अभाव। जिसके चलते अब अधिकतम 10-12 दिनों तक ही प्रस्तुति चलती है। जिसमें क्षीरसागर, रामजन्म, मारीच, सुबाहु एवं ताड़का वध, फूलवारी, धनुष यज्ञ, राम-सीता विवाह, लक्ष्मण परशुराम संवाद आदि की प्रस्तुति देते हैं।
*आपस में चंदा कर संजोए हैं परंपरा को*
……. गांव के कलाकार अरविंद मिश्र……..
सभी सदस्य आपस में चंदा करके रामलीला का मंचन करते हैं और भगवान राम के आदर्शों को आमजन तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। ग्राम में सांस्कृतिक कार्यक्रम होने से सद्भाव भी बना रहता है। सभी वर्ग के लोग रामलीला के लिए सहयोग प्रदान करते हैं। रामविलास पांडे, सुनील पांडे, राजेश ओझा, आकाश पांडे, लालजी पांडे, चंदन पांडे, शुभम पांडे, अनिल मिश्रा आदि शामिल है।