गांव में धधक रही कच्ची शराब की भट्ठियां, उदासीन बने जिम्मेदार
कच्ची शराब का सेवन कर बर्बाद हो रही गांव के नवयुवकों की जिंदगी
इटियाथोक,गोंडा।थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत गोसेंद्रपुर के मजरा गांव कोल्हुवा मे कच्ची दारू बनाने का धंधा कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है। पुलिस एवं आबकारी विभाग की उदासीनता से यह कारोबार धड़ल्ले से फल फूल रहा है।आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते और अधिक नशेदार दारू बनाने के चक्कर मे कच्ची शराब के निर्माताओं द्वारा नित्य नये-नये प्रयोग करके दारू निकालने के कच्चे माल लहन में मानव जीवन के लिये हानिकारक वस्तुओं एक्सपायरी डेट के इंजेक्शन, जहरीली दवाओं, यूरिया तक का इस्तेमाल किया जाने लगा है।जिनसे कच्ची शराब मे अनलिमिटेड नशा तो आता ही है, बल्कि अक्सर दारू के शौकीन लोगों के सेहत के साथ भी खिलवाड़ कर उन्हे मौत के मुंह में धकेला जा रहा है। पहले तो यह कच्ची शराब के निर्माता किसी जंगल या गन्ने के खेतों के बीच में या नदियों के किनारे सुनसान स्थानों पर दारू बनाते थे।लेकिन अब गंवई इंजीनियरों द्वारा निरंतर प्रयोगों से प्राप्त तकनीक अपनाते हुए अपने छोटे से घर या झोपड़ी मे विशुद्ध पूर्ण स्वदेशी सर्व सुलभ कच्ची दारू निर्माण संयत्र लगा कर और दारू उत्पादन कर घर पर ही बिक्री करने का कुटीर कारोबार चरम सीमा पर है। इटियाथोक थाना क्षेत्र के गोसेंद्रपुर पंचायत के मजरा गांव कोल्हुवा में करीब आधा दर्जन घरों में कच्ची शराब का कारोबार काफी अरसे से किया रहा है। बताया जाता है, कि यहां महिलाएं खाना बनाने के बाद चूल्हे पर मिनी दारू उत्पादक संयत्र लगा कर दो – तीन बोतल दारू जरा सी देर मे निकाल कर बिक्री कर स्वयं रोजगार प्राप्त कर रही है।मामले में प्रभारी निरीक्षक दुर्ग विजय सिंह का कहना है जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।