लोकसभा चुनाव 2024: यहां कसौटी पर होंगे जन प्रतिनिधि……. स्थानीय मुद्दे लेंगे कड़ा इम्तिहान
लोकसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता का क्या है मूड, इस बार कौन से मुद्दे रहेंगे हावी
इटियाथोक,गोंडा। 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान तेज होते ही स्थानीय मुद्दे भी सिर उठाने लगे हैं। चुनावी मैदान में उतर रहे नेताओं का ये मुद्दे इस बार जरूर इम्तिहान लेंगे।गोंडा संसदीय क्षेत्र के इटियाथोक विकासखंड की बात करें, तो यहां लंबे समय से स्थानीय मुद्दे गौण हैं।कई समस्याएं वर्षों से हैं, लेकिन उनके निराकरण में अब तक किसी ने सिवाय आश्वासन के दिलचस्पी नहीं दिखाई है।यही कारण है कि छुट्टा जानवर, रेलवे अंडरपास, इंटरसिटी एक्सप्रेस का ठहराव, पुल,अस्पताल, शिक्षा समेत अन्य ज्वलंत स्थानीय मुद्दे एक बार फिर मुंह बाये खड़े हैं। हालांकि,लोगों को उम्मीद है कि शायद इस बार इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।
*शो-पीस बनकर खड़ा है राजकीय बालिका इंटर कॉलेज,अभी तक नहीं हुआ हैंडओवर*
ब्लॉक मुख्यालय से चौदह किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत हिंदू नगर खास में राजकीय बलिका इंटर कॉलेज के निर्माण का कार्य 03 करोड़ 17 लाख रुपये की अनुमानित लागत से कराया गया है।कार्यदाई संस्था को 2017 में ही इंटर कालेज का निर्माण कार्य पूर्ण करके हैंडओवर करना था, जो अब तक नहीं हुआ।प्रधान पति सिरताज अहमद का कहना है कि मजबूरी में छात्राओं को महंगे खर्च पर निजी संस्थानों में प्रवेश लेना पड़ता है, इसके साथ ही उन्हें लंबा सफर तय करके कॉलेज पहुंचना पड़ता है।
*इंटरसिटी एक्सप्रेस के ठहराव को लेकर सात वर्षों से लोग कर रहे संघर्ष*
इटियाथोक रेलवे स्टेशन पर इंटरसिटी एक्सप्रेस के ठहराव को लेकर स्थानीय लोग लगातार सात वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं।कस्बा वासियों का कहना है कि आर्थिक रूप से पिछड़े इस क्षेत्र में आवागमन के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं है।गोरखपुर-गोंडा लूप लाइन का आमान परिवर्तन होने पर क्षेत्र के लोगों को ट्रेनों की सुविधा तो मिली, लेकिन कुछ ट्रेनों का ठहराव न होने के कारण लोगों में निराशा व्याप्त है।जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बावजूद अभी तक मामला अधर में लटका है।
*फसल चौपट करने के साथ जान भी ले रहे छुट्टा पशु*
विकासखंड क्षेत्र के मतदाताओं में दो तिहाई से ज्यादा ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं।इसलिए खेती-किसानी से जुड़े मसले चुनावों के बिना भी हमेशा हावी रहते हैं। किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या छुट्टा पशु हैं। जगह-जगह गो-आश्रय स्थल बनाए जरूर गए हैं, मगर इनमें से ज्यादातर बदहाल हैं। छुट्टा पशु खेतों में फसल बर्बाद कर रहे हैं। किसानों को रात-रात भर जागकर निगरानी करनी पड़ रही है।सर्दी-गर्मी और बरसात के हर मौसम में किसान निगरानी करने के लिए मजबूर हैं। अगर एक भी दिन चूक हो जाए तो छुट्टा पशु पूरे साल की मेहनत बर्बाद कर जाते हैं।कई किसान फसल की निगरानी करते हुए ही छुट्टा पशुओं के हमले में जान गंवा चुके हैं।
*ये मांगें भी अधूरी*
कस्बे में गोंडा-बलरामपुर राजमार्ग पर ब्रिटिश शासनकाल में बनाए गए बिसुही नदी का पुल अति जर्जर हो गया है।कई बार मांग भी उठ चुकी मगर समाधान नहीं हुआ है।वहीं इटियाथोक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के परिसर में करोड़ों की लागत से निर्माण कराया गया 30 सैय्या वाला मेटरनिटी हॉस्पिटल बदहाल है।यहां महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलने से 20 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। इसके बावजूद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा।
*कई वर्षों से ग्रामीण एक अदद पुल की मांग कर रहे ग्रामीण*
विकासखंड के अंतिम छोर पर बसे गांव लक्ष्मणपुर लाल नगर सहित करीब एक दर्जन गांवों के हजारों लोगों को प्रतिदिन बलरामपुर मुख्यालय आने जाने के लिए कुआनो नदी पर बने जुगाड़ पुल के सहारे आना जाना पड़ता है।स्थानीय लोगों की मानें तो यहां से बलरामपुर की दूरी महज 10 किलोमीटर रह जाती है।बरसात के दिनों में लोगों को काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है।नदी में उफान आने के बाद जुगाड़ का पुल पानी में डूब जाता है।जिससे आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाता है।बस एक नाव का सहारा रह जाता है।ग्रामीणों का आरोप है,कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि आते हैं। पुल बनवाने का वादा करते हैं। कई बार सांसद व विधायक इस पुल के निर्माण की बात कर चुके हैं।लेकिन वोट लेने के बाद कोई लौटकर नहीं आता है।