विद्यालय तो है पर रास्ता नहीं, खेत से गुजरकर जाते है बच्चें
मुख्य सड़क मार्ग से करीब 300 मीटर अंदर खेत से होकर स्कूल पहुंचते हैं बच्चे
इटियाथोक,गोंडा। सरकार हर साल स्कूल चलो अभियान पर लाखों रुपये खर्च करती है, लेकिन आज भी कई स्कूल ऐसे हैं जहां भवन तक पहुंचने के लिए रास्ता ही नही है। ऐसे में ‘स्कूल चलो अभियान’ का नारा बेमानी साबित हो रहा है।इसका उदाहरण इटियाथोक विकासखंड के गांव बरेली विश्रामपुर का प्राथमिक विद्यालय है जहां रास्ता नही होने के कारण बच्चे खेत के रास्ते से होकर स्कूल जाते है।स्कूल भवन बनने के अट्ठारह साल बाद भी प्रशासन यहां के बच्चों को सरकारी रास्ता उपलब्ध नही करा पाया है।यहां अध्यनरत बच्चों के अभिभावकों की मानें,तो अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधा को लेकर गम्भीरता नही दिखा रहे हैं।जिसके कारण स्कूल की समस्या बरकरार है।
*खेत से गुजरकर स्कूल जाते है बच्चें*
शिक्षा क्षेत्र इटियाथोक अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय बरेली विश्रामपुर के प्रभारी प्रधानाध्यापक संदीप मिश्र ने बताया कि यहां नामांकित 45 छात्र 36 छात्राएं अध्यनरत है।सन् 2005 में ग्राम पंचायत ने स्कूल भवन बना दिया, जहां जाने के लिए सरकारी रास्ता नही है।गांव के बच्चे खेत के रास्ते से गुजरकर करीब 300मीटर दूर स्कूल भवन में पहुंचते है।बारिश के दौरान खेत में कीचड़ होने पर बच्चों का स्कूल पहुंचना मुश्किल हो जाता है।स्कूल के सभी कक्षों में पंखा और एलईडी बल्ब लगा हुआ है, लेकिन बिजली कनेक्शन के अभाव में सभी विद्युत उपकरण महज शोपीस बनकर रह गए है। ग्रामीण बताते है, कि अभी गन्ने की फसल लगी है इसलिए किसान बच्चों को खेत से निकलने देते हैं,लेकिन कई बार वे यह रास्ता भी बन्द कर देते है।कई बार अधिकारियों से रास्ता बनवाने का निवेदन कर चुके है लेकिन कोई ध्यान नही देता।
*रास्ते की परेशानी से घट रही बच्चों की संख्या*
स्कूल तक जाने का रास्ता नही होने के कारण दिन प्रतिदिन बच्चों की संख्या कम होने लगी है।कुछ अभिभावकों ने दबी जुबान में बताया कि रोज आधा किमी खेत के रास्ते स्कूल छोड़ने में दिक्कतें होती है।बच्चों को अकेले भेजने में डर लगा रहता है।इस संदर्भ में खंड शिक्षा अधिकारी उपेंद्र त्रिपाठी से पूछे जाने पर बताया गया कि उप जिलाधिकारी को पत्र भेज कर पूरे मामले से अवगत कराया गया है।