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परिषदीय स्कूल की बदली सूरत, अभिभावकों का बढ़ा विश्वास

कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं प्राथमिक विद्यालय इटियाथोक

इटियाथोक,गोंडा।परिषदीय विद्यालय का नाम आते ही एक अजीब सी तस्वीर जेहन में आ जाती थी, लेकिन अब वह दिन लद गए।परिषदीय स्कूलों का कायाकल्प हो गया है और कान्वेंट को टक्कर दे रहे हैं।पिछले पांच सालों में परिषदीय स्कूलों के छात्र संख्या बढ़ने के साथ शिक्षा के संसाधन भी बेहतर हुए है।इटियाथोक शिक्षा क्षेत्र में कुल 158 परिषदीय विद्यालय हैं।इनमें लगभग 80 प्रतिशत विद्यालयों का कायाकल्प हो गया है।कुछ विद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी विद्यालयों में विद्युतीकरण हो गया है।क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में सरकारी स्कूलों की सूरत ऐसी बदली कि यह भी अब कान्वेंट स्कूलों को टक्कर देने लगे हैं।स्कूलों का रंग रोगन हो या स्मार्ट क्लास किसी कांवेंट स्कूल से कम नहीं है। स्मार्ट कक्षाएं यहां के छात्र-छात्राओं को स्मार्ट बना रही हैं। पिछले पांच सालों में शिक्षा के संसाधन भी बढ़े हैं। परिषदीय विद्यालय की सूरत बदलने के साथ शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त होने से छात्र संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। अभिभावकों में विश्वास बढ़ा है।

*कान्वेंट स्कूल से कम नहीं प्राथमिक विद्यालय इटियाथोक*

 

प्राथमिक विद्यालय इटियाथोक के इंचार्ज प्रधानाध्यापक डॉक्टर रामराज, सहायक अध्यापक जितेंद्र प्रकाश मौर्य व ग्राम प्रधान ने सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों की धारणा बदल दी है। विद्यालय में साफ-सफाई से लेकर खेल-खेल में पढ़ाई बच्चों को काबिल बना रही है।शैक्षिक स्तर काफी बेहतर है।विद्यालय में बेहतर सुविधा देखकर लगता है यह किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं है।प्रधानाध्यापक डॉ रामराज बताते हैं,कि पांच सहायक अध्यापक और छह शिक्षामित्र यहां पढ़ाते हैं।अब कान्वेंट स्कूल छोड़कर अमीरों के बच्चों ने भी यहां दाखिल लेना शुरू कर दिया है।

*दोनों शिक्षकों ने बदली स्कूल की काया*

इस परिषदीय स्कूल में सहायक अध्यापक जितेंद्र प्रकाश मौर्य व डॉक्टर रामराज की तैनाती वर्ष 2019 में हुई। उस समय विद्यालय में बच्चों की संख्या सौ से भी कम थी। उन्होंने बच्चों को स्कूल लाने का प्रयास तेज किया।शुरुआत में परेशानी हुई, लेकिन बाद में बच्चे स्कूल पहुंचने लगे।वर्तमान में यहां 200 बच्चे पंजीकृत हैं।उन्होंने शैक्षिक कार्य के साथ विद्यालय के कायाकल्प पर भी विशेष ध्यान दिया।

*सुविधाओं से सुसज्जित क्लास में पढ़ रहे बच्चे*

इंचार्ज प्रधानाध्यापक डॉक्टर रामराज बताते हैं, कि उन्होंने ग्राम प्रधान के सहयोग से विद्यालय में बने छह कमरों में टाइल्स लगवाई। परिसर में इंटरलॉकिंग ईंट बिछाई गई, इससे जलभराव की समस्या से मुक्ति मिली। इसके बाद स्कूल में खेलकूद के सामान तक की व्यवस्था की।इतना ही नहीं स्कूल में ब्लैक बोर्ड की जगह व्हाइट बोर्ड पर मार्कर से पढ़ाई हो रही है। खेल खेल में शिक्षा, पैरेंट्स मीटिंग भी परिषदीय विद्यालय में बच्चों को टेबल कुर्सी पर बैठने की सुविधा दी गई है। स्कूल में टाइमटेबल बनाकर शिक्षक पढ़ाई करा रहे हैं। बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा, टीएलएम विधि से शिक्षा, प्रतिरूपों के माध्यम से गणित की शिक्षा दी जा रही है। अभिभावकों के साथ मीटिंग भी की जाती है। निजी विद्यालय छोड़कर आ रहे बच्चे विद्यालय में पढ़ाई के स्तर बेहतर होते ही अब कान्वेंट स्कूलों को छोड़कर बच्चे यहां पढ़ाई करने आ रहे हैं। इनमें समृद्ध किसान, व्यापारियों के बच्चे भी शामिल हैं।

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