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ग्राम पंचायत सचिवालय का हाईटेक होना कागजों तक सिमटा

ग्राम सचिवालय की परिकल्पना पर लग रहा ग्रहण

 


इटियाथोक,गोंडा। ग्रामीणों की समस्याओं के निस्तारण, पत्रावलियों के रख-रखाव व विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए ग्राम पंचायतों में बनाए गए मिनी सचिवालय बदहाल हो गए हैं। देख-रेख के अभाव में इनका कोई पुरसाहाल नहीं है।ऐसे में ग्रामीणों को ब्लॉक कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है।इटियाथोक विकासखंड की ग्राम पंचायत गोसेद्रपुर में बना मिनी सचिवालय बदहाली का गवाह है। वर्ष 2009-10 में करीब 15 लाख की लागत से सचिवालय भवन का निर्माण कराया गया था।निर्माण के बाद से ही न तो यहां कोई कर्मचारी बैठा और न ही ग्रामीणों से जुड़ी कोई पत्रावली रखी गई।ग्रामीणों का कहना है, कि गांव को डिजिटल करने के उद्देश्य से पंचायत सहायकों की तैनाती भी की जा चुकी है। लोगों को गांव में ही सुविधा उपलब्ध कराने के लिए खोले गए ग्राम सचिवालय आज मात्र दिखावा रह गए हैं।ग्रामीणों ने बताया, कि उनकी ग्राम पंचायत में जब सचिवालय का निर्माण हुआ तब उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ गांव में ही मिलने की आस जगी थी।खुशी थी कि अब परिवार रजिस्टर की नकल सहित ग्राम पंचायत सचिव अस्तर के काम के लिए ब्लॉक का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। बताया जा रहा है सचिवालय के निर्माण के बाद एक दिन भी सचिव नहीं बैठे और ना ही कभी ग्राम पंचायत की कोई बैठक हुई।अब सचिवालय भवन जंगली जानवरों का बसेरा बनकर रह गया है।इस संदर्भ में सहायक विकास अधिकारी पंचायत परमात्मा दीन का कहना है, उन्हें जानकारी नहीं है मामले को दिखवा रहे हैं।

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