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श्रीमद् भागवत कथा में राजा परीक्षित का प्रसंग सुनाया
कथा रसपान कर मंत्र मुग्ध हुए श्रद्धालु

इटियाथोक,गोंडा। क्षेत्र के इटियाथोक बाजार में चल रही आठ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य विनोद जी महाराज ने राजा परीक्षित जन्म का प्रसंग सुनाया।कथा में बड़ी संख्या में श्रोता पहुंचे। बताया,कि जन्म लेते ही परीक्षित सबके चेहरे की ओर निहारने लगे, परीक्षण करने लगे कि किस-किस को मैंने मां के गर्भ में देखा था। गदा, पुष्प धारी, पीतांबर धारी, श्याम वर्ण वह प्रभु कहां है ? इसलिए लोगों ने उनका नाम परीक्षित रख दिया। आचार्य जी ने कहा,कि परीक्षित संसार का हर जीव है, और काल रूपी तक्षक का श्राप हर जीव को लगा है।जिसका ग्रास सभी को बनना है। राजा परीक्षित जब राजा बन जाते हैं,तभी कलयुग का प्रथम चरण शुरू होता है।उन्होंने कहा,कि कलयुग में भगवान को प्राप्त करने का सबसे अच्छा उपाय भक्ति है।भागवत अमृत रूपी कलश है।जिसका रसपान करके आदमी अपने जीवन को कृतार्थ कर लेता है।भगवान का नाम जपें।कभी भी किसी का बुरा न करें।कोई पाप न करें क्योंकि स्मरण रहे, कि इस दुनिया में कर्म फल ही लेकर जाना है।सद्कर्म के लिए ही भगवान ने हमें भेजा है, किसी के साथ अच्छा न कर सको तो बुरा भी न करें।किसी के जीवन में यदि फूल न बरसा सके, तो कांटे भी उसके रास्ते में न डालें।इस मौके पर मुख्य यजमान गायत्री देवी,नवल किशोर सोनी,अखिल भारतीय अग्रवाल समाज सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष उत्तम बंसल,राजेश द्विवेदी, रवि शुक्ल, मधुसूदन शुक्ल, राम किशोर, पीतांबर धारी मिश्र,जितेंद्र प्रकाश मौर्य, बजरंगी प्रसाद, उमाशंकर, लक्ष्मन व पिंटू सोनी सहित असंख्य महिला व पुरुष श्रद्धालु मौजूद रहे।
