ईश्वर को पाने का सबसे उत्तम और सरल उपाय है प्रेम’ : आचार्य विनोद
"प्रेम ही परमात्मप्राप्ति का सहज मार्ग है" आचार्य विनोद

इटियाथोक,गोंडा। ईश्वर को प्राप्त करने का सबसे उत्तम और सरल उपाय प्रेम ही है।प्रेम भक्ति का प्राण भी होता है।प्रेम के बिना व्यक्ति चाहे कितना ही जप, तप, दान कर ले, परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकता है।संसार का कोई भी साधन प्रेम के बिना जीव को ईश्वर का साक्षात नहीं करा सकता है।यह ज्ञानोमयी उपदेश इटियाथोक बाजार में चल रही आठ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं की संगत को संबोधित करते हुए कथा व्यास आचार्य विनोद जी महाराज ने दिए।कहा,कि एकाग्रता सिद्ध करने का सबसे अच्छा उपाय यह है, कि अपने मन को संसार की ऐसी बातों से दूर रखा जाए जिनसे बेकार की उलझनें और समस्याएं पैदा हों।उसे केवल ऐसी बातों और विचारों तक ही सीमित रखा जाए, जिनसे अपने निश्चित लक्ष्य का सीधा संबंध हो।प्रायः लोगों का स्वभाव होता है,कि वे घर,परिवार, मुहल्ले, समाज, देश, आदि की उन बातों में अपने को व्यस्त बनाए रखते हैं ! जिनसे उनके मुख्य प्रयोजन का कोई सरोकार नहीं होता ! इस स्वभाव का जन्म निरर्थक उत्सुकता द्वारा ही होता है। प्रेम की उपलब्धि परमात्मा की उपलब्धि मानी गई है ! प्रेम परमात्मा का भावनात्मक स्वरूप है ! जिसे अपने अंतर में सहज ही अनुभव किया जा सकता है। प्रेम प्राप्ति परमात्मा प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग है। परमात्मा को पाने के अन्य सभी साधन कठिन, दुःसाध्य तथा दुरूह हैं ! एक मात्र प्रेम ही ऐसा साधन है, जिसमें कठोरता अथवा दुःसाध्यता के स्थान पर सरसता, सरलता और सुख का समावेश होता है, अपने-आपको सुधारने का प्रयत्न करना, अपने दृष्टिकोण में गहराई तक समाई हुई भ्रांतियों का निराकरण करना मानव जीवन का सबसे बड़ा पुरुषार्थ है।
