Uncategorised

छह दशक पुरानी रामलीला की परंपरा को यहां के युवाओं ने रखा है बरकरार

61 साल पुरानी एक रामलीला परंपरा युवा निभा रहे जिम्मेदारी

 


इटियाथोक,गोंडा। आधुनिकता के इस युग में भी गांव में रामलीला की परंपरा बरकरार है।इटियाथोक विकासखंड के गांव करुवा पारा में रामलीला मंचन का इतिहास काफी पुराना है।यहां 61 साल पहले गांव के बाला प्रसाद मिश्र,राम शरण मिश्र,राज दत्त तिवारी,गंगा प्रसाद शुक्ल, नवल किशोर ओझा व राजित राम द्विवेदी ने रामलीला मंचन की शुरुआत की थी।पुरखों द्वारा शुरु की गई इस विरासत को अब गांव के युवा संभाले हुए हैं और नई पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रही है।रामलीला समिति में वर्तमान में 50 की संख्या में कलाकार हैं, जो रामायण से जुड़े सभी किरदारों का जीवंत अभिनय कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।हर साल नवरात्रि के प्रारंभ से लेकर अंत तक रामलीला का मंचन किया जाता है।वर्तमान में रामलीला मंचन की जिम्मेदारी काशी प्रसाद ओझा, राजमणि पांडे, रामविलास पांडे, जयप्रकाश पांडेय, राजेश ओझा, सत्य प्रकाश ओझा, राजीव शुक्ल, अंबरीश द्विवेदी, त्रिवेणी पांडे, लल्ला ओझा व लाल जी पांडे संभाल रहे हैं।मंडली में सबसे पुराने सदस्य कृष्णा राम पांडे हैं जो अभी भी पूरे उत्साह से मंचन करते हैं।

1963 से होता आ रहा है मंचन

रामलीला मंचन में विगत पांच सालों से श्रीराम का किरदार निभाने वाले मंडली के सदस्य व भजन गायक अरविंद मिश्र बताते हैं,कि राम लीला मंचन कार्यक्रम की नींव 1963 में पड़ी थी।आज बदलाव का दौर हैं और समय का अभाव।जिसके चलते अब अधिकतम दस से बारह दिनों तक ही प्रस्तुति चलती है। जिसमें क्षीरसागर, रामजन्म, मारीच, सुबाहु एवं ताड़का वध, फूलवारी, धनुष यज्ञ,राम-सीता विवाह, लक्ष्मण परशुराम संवाद आदि की प्रस्तुति देते हैं।

आपस में चंदा कर संजोए हैं परंपरा को

सभी सदस्य आपस में चंदा करके रामलीला का मंचन करते हैं और भगवान राम के आदर्शों को आमजन तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। ग्राम में सांस्कृतिक कार्यक्रम होने से सद्भाव भी बना रहता है। सभी वर्ग के लोग रामलीला के लिए सहयोग प्रदान करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}