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जानें !द्वापर युग के इस शिवलिंग का रहस्य, जहां दर्शन के लिए उमड़ता है भक्तों का मेला

अद्भुत,अविश्वसनीय व अकल्पनीय, एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग

 

 

 

खरगूपुर,गोंडा।सावन के तीसरे सोमवार यानी सोमवती अमावस्या को आज बाबा पृथ्वीनाथ भीमेश्वर महादेव मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा खरगूपुर नगर पंचायत से तीन किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में पौराणिक पृथ्वीनाथ मंदिर स्थित है, जहां पूरे सावन में पैर रखने की भी जगह नहीं होती है। दूर-दूर से इस प्राचीन मंदिर में शिव की अराधना करने भक्त आते हैं। मान्यता है द्वापर युग में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां पर प्रवास किया था। उस दौरान भीम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। काले कसौटी के पत्थरों से बना यह अद्भुत शिवलिंग वर्तमान में साढ़े पांच फीट ऊंचा और धरती के नीचे करीब 64 फुट सात अरघों वाला बताया जाता है।जो कि एशिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग बताया जाता है।

शिवलिंग पर जलाभिषेक का है विशेष प्रावधान

इस शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है।इसकी ऊंचाई अधिक होने के कारण एड़ी उठाकर ही जलाभिषेक किया जा सकता है।मान्यता है, सावन माह में पड़ने वाले सोमवार और शुक्रवार को भगवान शिव के इस अलौकिक मंदिर में पूजा करने से मन वांछित फल की प्राप्ति होती है।पुरातत्व विभाग के अनुसार, यह शिवलिंग लगभग पांच हजार वर्ष से भी पुराना है।जो कि द्वापर युग के महाभारत काल का है।

 

क्या बोले मंदिर के पुजारी

मंदिर के पुजारी जगदंबा प्रसाद तिवारी ने बताया,कि यहां गोंडा जनपद के अलावा बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर व पड़ोसी देश नेपाल से हर साल हजारों श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। सावन मास व अधिमास में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। नेपाल से आने वाले भक्तों के ठहरने के लिए धर्मशाला की व्यवस्था भी है।

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