एलबीएस के प्राचार्य द्वारा प्रशासनिक राजनीति करने को लेकर शिक्षकों ने खोला मोर्चा

एलबीएस के प्राचार्य द्वारा प्रशासनिक राजनीति करने को लेकर शिक्षकों ने खोला मोर्चा
शुरू हुआ रचनात्मक प्रतिरोध के अंतर्गत सत्याग्रह एवं दृगबंद आंदोलन
सार्वजनिक स्तर पर अध्यक्ष, शिक्षक संघ और प्राचार्य आमने-सामने
गोण्डा।प्रो. शैलेंद्र नाथ मिश्र, अध्यक्ष, शिक्षक संघ, एल.बी.एस. कॉलेज ने कॉलेज प्राचार्य प्रो. रवींद्र कुमार के विरुद्ध सार्वजनिक स्तर पर मोर्चा खोल दिया है। महाविद्यालय परिसर में शास्त्री जी की प्रतिमा के नीचे रचनात्मक प्रतिरोध करते हुए सत्याग्रह एवं दृगबंद अनशन शुरू कर दिया हैं। न्याय के लिए आँख में काली पट्टी बाँध कर किए जाने वाले इस अनशन एवं सत्याग्रह में आरोप लगाया है कि प्राचार्य को महाविद्यालय स्तरीय समस्याओं के उन्मूलन हेतु दिए गए समस्त पत्रों मे से अभी तक कोई संज्ञान न लिया गया,विभिन्न मांग पत्र के बावजूद संघ कार्यकारिणी को कभी भी वार्ता के लिए नही बुलाया गया,गत वर्ष गांधी जयंती पर शिक्षक संघ द्वारा स्टाफ रूम को सुव्यवस्थित एवं सुसज्जित करने के लिए रचनात्मक प्रतिरोध करने के बावजूद प्राचार्य द्वारा कोई कार्य नही किया गया।
महाविद्यालय में प्राचार्य द्वारा विद्यार्थियों से लेकर प्रबंध तंत्र तक अनेक-कोणीय संघर्ष निर्मित किया गया है।प्राचार्य द्वारा प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष-सचिव एवं अन्य पदाधिकारियों को गुमराह किया जा रहा है। प्राचार्य अपने पद की गरिमा के विरुद्ध निरपेक्ष न रहकर शिक्षक संघ चुनाव में सक्रिय रूप से संलग्न रहे।शिक्षक संघ-निर्वाचन के पश्चात प्राचार्य पद की गरिमा एवं आचार संहिता के सर्वथा प्रतिकूल जाकर शिक्षक संघ के समानांतर संघ के कुछ सदस्यों की बैठक कर अध्यक्षता करना निर्वाचित पदाधिकारी का शपथ ग्रहण कराया गया।महाविद्यालय में प्राचार्य द्वारा अपने कार्य को छोड़कर एडमिनिस्ट्रेटिव पॉलिटिक्स करके महाविद्यालय में कई गुटों का निर्माण करना, जिसके परिणामस्वरूप महाविद्यालय की स्वच्छ छवि को आघात पहुंचाया गया।
प्राचार्य द्वारा हठधर्मिता के कारण शिक्षकों की समयबद्ध प्रोन्नति में बाधा डालना।महाविद्यालय शिक्षकों एवं कर्मचारियों के परिचय पत्र को निर्गत करने में हस्ताक्षर करने को लेकर प्राचार्य और सचिव प्रबंध समिति का आमने-सामने आना। प्राचार्य स्वयं द्वारा बनाए गए किसी भी नियम को मनमाने के तौर पर कभी भी परिवर्तित कर देना।
इसी तरह प्राचार्य जी के अप्रासंगिक एवं दूरदर्शी निर्णयों के अनेक उदाहरण हैं। इन सबको लेकर शिक्षक संघ नाराज हो कर मोर्चा खोलकर अनशन शुरू कर दिया है।