
इटियाथोक,गोंडा। विकासखंड अंतर्गत पूरेदतई, लक्ष्मणपुर लाल नगर व करूवापारा ग्राम पंचायतों में करोड़ों की लागत से लोगों की प्यास बुझाने के लिये बनवाई गयी हजारों लीटर पानी की क्षमता वाली टंकियां फिलहाल अनुपयोगी ही साबित हो रही हैं।क्षेत्रवासियों में इसे लेकर बेहद रोष है।इटियाथोक विकास खंड के लक्ष्मणपुर लाल नगर पंचायत में लुंजपुंज योजना के तहत आठ बरस पहले बनवायी गयी हजारों लीटर पानी की क्षमता वाली टंकी ठूंठ सी खड़ी मुंह चिढ़ा रही है।बता दें, कि इस टंकी से तीन बरस पहले करीब पांच हजार आबादी को पानी की सप्लाई होती थी।लेकिन लापरवाही के चलते अब यह टंकी सफेद हांथी साबित हो रही है।ग्राम प्रधान दशरथ राजभर बताते हैं, कि इस टंकी से जो भी कनेक्शन दिये गये थे उनमें अधिकांश की पाइप लाइनें या तो टूटी हैं और या फिर लीकेज है।जिम्मेदार इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बिहुरी व पूरेदतई ग्राम पंचायत के मध्य में करीब सात से आठ बरस पहले बनी पानी टंकी का बुरा हाल है।इस टंकी से दोनों पंचायतों के दर्जनाधिक गांव के ग्रामीणों को एक बूंद भी शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।यहां ग्रामीण काफी अरसे से पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं।उसके बाद भी विभाग के अधिकारी और जनप्रतिनिधि कुंभकर्णी नींद में सोए हुए हैं।आलम यह है कि देखभाल के अभाव में पानी टंकी धीरे- धीरे जर्जर होने के कगार पर है।
*क्यों बंद है पानी टंकी*
स्थानीय लोगों की मानें तो पानी टंकी बनते ही सभी गांवों में पानी की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन बिछाई गई। कार्य शुरू होते ही कुछ महीने बाद बिछी पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई।जिस कारण पेयजल की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी। जिस पर विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया। क्षतिग्रस्त पाइपलाइन आज भी जस की तस है। बताया जा रहा है यहां किसी आपरेटर की तैनाती भी नहीं है।
*ग्रामीण क्या कहते हैं*
ग्रामीण कल्पनाथ सिंह, प्रमोद पाठक, राकेश, हनुमान,ज्ञानू, जगदंबा प्रसाद आदि को ते हैं, कि इस पानी टंकी से ग्रामीणों को जो उम्मीद थी वह समाप्त हो गई है। पानी टंकी को निर्माण हुए सात से आठ साल हो गया, लेकिन चार साल से ग्रामीणों को एक बूंद पानी नहीं मिला है।
*चार साल से करूवापारा गांव में जलापूर्ति ठप*
कमोवेश करूवापारा पंचायत में बनी पानी टंकी का भी यही हाल है। पूर्व प्रधान के पुत्र धीरेंद्र तिवारी मुताबिक यहां लगभग चार साल से लोगों को एक बूंद पानी नहीं मिला है।मालूम चले कि इन तमाम पानी की टंकियों से जहां कभी हजारों लोगों की प्यास बुझा करती थी।वहीं अब पानी के इंतजार में यह सारी टंकियां खुद प्यासी सी रहती है।शायद इन्हें भी इंतजार है कि कोई आये और इनकी प्यास बुझाये।
Back to top button
error: Content is protected !!
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] {
margin-bottom: 40px;}