भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं मां पटमेश्वरी
देवी मां ने ऐसे किया था अत्याचारी राजा का अंत,जानें 400 साल पुराना इतिहास
इटियाथोक,गोंडा। विकासखंड अंतर्गत मेहनौन गांव पंचायत में स्थापित मां पटमेश्वरी देवी मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र हैं।वर्ष भर यहां मां के भक्त दूरदराज क्षेत्रों से पहुंचते हैं,और मां की पूजा अर्चना कर अपने सुख समृद्धि की कामना करते हैं।चैत्र व शारदीय नवरात्रि के दिनों में भक्तों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है।यहां सच्चे मन से मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
*इतिहास*
पुराणों में भी इस स्थान का वर्णन है।माना जाता है कि स्वयं भोलेनाथ ने मां पटमेश्वरी के धाम में गुप्त रूप से रात्रि विश्राम किया था।कहा जाता है कि भगवान शंकर महर्षि अगस्त्य के आश्रम जाने से पहले यहां रुके थे।किंवदंति के अनुसार,चार सौ साल पहले इस क्षेत्र में म्लेच्छ वंश का एक अत्याचारी राजा था।उसके आतंक से पूरे क्षेत्र की जनता में हाहाकार मचा था।राजा नवविवाहिता महिलाओं की डोली रोक लिया करता था और उनके साथ दुर्व्यवहार करता था।उसके आतंक से लोगों का जीना मुहाल हो गया था।
परेशान बेटियों की रक्षा के लिए मां पटमेश्वरी ने दुल्हन का वेश धारण किया और डोली में बैठकर उस राजा के महल के करीब पहुंचीं।दुल्हन वेश में डोली में बैठी देवी आदिशक्ति को उस दुरात्मा ने नवविवाहिता समझकर रोक लिया।मां के साथ दुर्व्यवहार करना चाहा,लेकिन मां ने उसका वध कर डाला।इसके बाद मां ने एक स्थान पर विश्राम किया,जहां आज मंदिर बना हुआ है।
*मां से आशीर्वाद लेकर विदा होती है दुल्हन की डोली*
देवी मां के प्रति लोगों की आस्था ऐसी है कि आज भी पूरे क्षेत्र में कोई भी मांगलिक कार्य मां के आशीर्वाद के बिना पूरा नहीं होता।आज भी यहां विवाह होने पर जब दुल्हन विदा होती है,तो वह सबसे पहले मंदिर पहुंचकर मां का आशीर्वाद जरूर लेती हैं।डोली यहां की परिक्रमा करने के बाद ही आगे बढ़ती है।इसके अलावा साल भर मंदिर में मुंडन, भागवत कथा व ब्रह्मभोज कार्यक्रम का आयोजन होता रहता है।