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शंकर – अंधक युद्ध से हुई वास्तु देव की उत्पत्ति – आचार्य बलूनी

शंकर जी व दैत्य अंधक के बीच हुए युद्ध तथा उससे जन्मे वास्तु देव की उत्पत्ति की कथा

शंकर – अंधक युद्ध से हुई वास्तु देव की उत्पत्ति – आचार्य बलूनी

 

बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिटेड, इकाई कुन्दरखी में चल रहे छ: दिवसीय स्थापत्य एवं वास्तु ज्ञान यज्ञ के छठे दिन आज उत्तराखंड से आये आचार्य श्री सुशील बलूनी जी ने शंकर जी व दैत्य अंधक के बीच हुए युद्ध तथा उससे जन्मे वास्तु देव की उत्पत्ति की कथा को विस्तार पूर्वक समझाया I

आचार्य जी ने श्रृष्टि के निर्माण में विष्णु जी तथा योग माया के बारे में बताते हुए कहा कि विष्णु जी ने श्रृष्टि के निर्माण के लिए अपने नाभिमंड से सहस्रदल कमल पर बैठे ब्रह्मा जी को उत्पन्न किया, उन्हीं ब्रह्मा जी के माध्यम से श्रृष्टि एवं श्रृष्टि में पृथ्वी का निर्माण कराया I

कालांतर में समुद्र मंथन से पूर्व मेरु पर्वत की श्रृंखलाओं में भगवन शिव व दैत्य अंधक के बीच हुए युद्ध से बने कीचड़ द्वारा वास्तु पुरुष की उत्पत्ति का जिक्र करते हुए, वास्तु पुरुष को भगवन विश्वकर्मा जो स्वयं नारायण का रूप हैं के कृपा-पुत्र की संज्ञा दी I

आचार्य जी ने वास्तु पुरुष के वैज्ञानिक विषयों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सनातन परंपरा में किस प्रकार भवन, राजप्रासाद, मंदिर तथा विद्यालयों के निर्माण के साथ-साथ कैसे नगरों के निर्माण में भी वास्तुशास्त्र का उपयोग किया जाता था I

इसके अतिरिक्त चौरासी लाख योनियों की चर्चा करते हुए आचार्य जी ने बताया कि आत्मा के परिष्कृत होने में प्रकृति उसको परिष्कृत करने के लिए कितने क्रिया-कलापों से गुजारती है I आत्मा पाषाणों से लेकर वृक्षों, जलचर, थलचर, उभयचर, नभचर फिर चतुष्पाद व द्विपाद तक की अपनी क्लिष्ट यात्रा को कैसे-कैसे पार करती है I

अन्योन्य जीवों में मानव किस प्रकार भिन्न है I कथा में आचार्य जी ने आत्मा-परमात्मा से सम्बंधित अनेकों मार्मिक किन्तु गूढ़ विषयों पर चर्चा की I

कथा समापन से पूर्व दिशाओं, कोणों, ब्रह्म स्थान, भवन वास्तु, व्यावसायिक वास्तु, कृषि वास्तु तथा संयंत्र वास्तु सम्बन्धी नियमों पर भी प्रकाश डाला गया I

सायंकाल वृहद् आरती व भजनों के साथ कथा का समापन किया गया I

कथा के छठवें दिन अनेक गणमान्य किसान भाइयों श्री राम मूरत पाठक, श्री अखिलेश तिवारी, श्री अवधराज सिंह, श्री द्वारिका प्रसाद तिवारी, श्री निर्भय सिंह, श्री मथंकर सिंह, श्री सत्येन्द्र विक्रम सिंह, श्री अरुणेश कुमार यादव, श्री दिलीप कुमार सिंह, श्री प्रह्लाद, श्री विष्णु पाण्डेय, श्री परमेश्वर दत्त मिश्र, श्री बबलू प्रधान, रामपुर इत्यादि सहित भारी जनसमूह ने कथा में भाग लिया I

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