क्राइम

शव वाहन न मिलने पर बाइक से घर ले गए बिटिया का शव

जिला अस्पताल की दूसरी मंजिल से बिना स्ट्रेचर के गोद में शव लेकर बाइक तक पहुंचे परिजन

जिला अस्पताल की दूसरी मंजिल से बिना स्ट्रेचर के गोद में शव लेकर बाइक तक पहुंचे परिज
0 बाइक से घर ले गए बिटिया का श

गोण्डा।निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध बाबू ईश्वर शरण जिला अस्पताल में रविवार को एक बड़ी संवेदनहीनता मानवता को तार तार करने का मामला सामने आया है। एक बेटी का शव हाथ में उठाकर परिजनों को दूसरी मंजिल से नीचे लाना पडा। और तो और पीड़ित परिवार को शव वाहन तक नसीब नहीं हो सका, उन्हें बाइक से शव घर ले जाना पड़ा।बताया जाता है

कि देहात कोतवाली के गुलगुलिया निवासिनी रंगा देवी पुत्री राम सागर (18) को बेहोशी की हालत में रविवार को अस्पताल लाया गया। परिजनों ने किसी जहरीले जानवर के काट लेने की बात बताई, जिसके बाद उसे अस्पताल की दूसरी मंजिल पर मेडिकल वार्ड में भर्ती करा दिया गया। उपचार के दौरान दोपहर बाद उसकी मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने वार्ड के स्टाफ रुम जाकर शव वाहन उपलब्ध कराने की मांग की, जिस पर उन्हें बताया गया कि वाहन कहीं शव लेकर गया हुआ है।


हलांकि तीन शव वाहन है, जिसमें से एक वाहन अस्पताल का और दो वाहन सीएमओ के यहां से उपलब्ध कराए गए हैं। इसके बावजूद भी लोगों को परिजनों की मौत के बाद शव को वाहन नहीं मिल पा रहा है। बताया जाता है कि मौजूद तीन वाहनों में दो खराब पड़े हैं, केवल एक वाहन ही चालू हालत में है। खराब वाहनों को ठीक कराने के लिए लिखा – पढ़ी की जा रही है। अफसरों को भी पत्र भेजा गया है।
कुछ को वाहन तो दे दिया जाता लेकिन डीजल अस्पताल प्रशासन नही देता अस्पताल का कहना है कि सीएमओ के यहां से दो शव वाहन तो दे दिए गए है लेकिन डीजल एक ही वाहन का उपलब्ध कराया जाता है। एक वाहन के लिए ऊपर से परमीशन नहीं है, का जबाब दे दिया जाता है।

वैसे तो अस्पताल में मौत के बाद शव घर तक ले जाने के लिए निशुल्क व्यवस्था है लेकिन इस समय पीड़ित परिवार को शव वाहन में डीजल भराने की शर्त पर ही वाहन उपलब्ध कराया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन तर्क दे रहा है कि जिला अस्पताल एक अप्रैल से स्वशासी मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध हो गया है, ऐसे में 31 मार्च के बाद जिला अस्पताल के मद में शासन से कोई बजट नहीं मिल रहा है जिससे डीजल की मांग पीड़ित परिवार से करनी पड़ रही है। रही बात खराब शव वाहन की तो ठीक करने के लिए लिखा – पढ़ी चल रही है।

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