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पांच साल से 30 शैय्या महिला अस्पताल पर ताला

30 शैय्या वाला मेटरनिटी हॉस्पिटल बना शो-पीस

 

इटियाथोक,गोंडा। सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा कर रही हो,परंतु हकीकत में इलाज के इंतजाम खुद ‘बीमार’ हैं।क्षेत्र में महिलाओं के उपचार की सुविधा के लिए बनाया गया 30 शैय्या अस्पताल इसका उदाहरण है।भवन बनने के बाद पांच साल से अस्पताल शुरू होने का ही इंतजार है।लेकिन विभागीय जिम्मेदारों के अनदेखी से भवन अब जर्जर होते जा रहे हैं।इटियाथोक विकास खंड में करीब 10 साल से मैटरनिटी अस्पताल बनाने की मांग उठाई गई थी।इस पर पूर्व की सपा सरकार ने इटियाथोक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के परिसर में 30 शैय्या महिला अस्पताल का भवन बनाने को मंजूरी दी थी।करीब ढाई करोड़ रुपए की लागत का यह भवन 2017-18 में बनकर तैयार होने के बाद वह स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया था।अस्पताल में जटिल प्रसव कराने के लिए आपरेशन थियेटर, लेबर रूम, इमरजेंसी, वेटिंग रूम, पैथोलॉजी आदि के कक्ष बने हुए हैं।पेयजल और प्रसाधन की सुविधा के लिए भी निर्माण हुआ है, परंतु हस्तांतरण के इस सुविधा को संचालित करने की सुधि न तो स्वास्थ्य विभाग ने ली और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने इसके लिए कोई पहल की।अस्पताल में स्टाफ की तैनाती ही नहीं की गई।ऐसे में महिला अस्पताल सफेद हाथी साबित हो रहा है।भवन के खिड़की व दरवाजे टूट रहे हैं।अस्पताल संचालित न होने से सबसे ज्यादा परेशानी क्षेत्रीय गर्भवती महिलाओं को हो रही है।उन्हें उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है।उनके सामने निजी अस्पतालों में जाने की मजबूरी है।क्षेत्रीय लोगों ने बताया,कि कोरोना काल के दौरान इस भवन का उपयोग कुछ दिनों के लिए लेवल-1 अस्पताल के रूप में किया गया।अब ताला लगा है।

*जिम्मेदार के बोल*

इस संबंध में इटियाथोक सीएचसी के अधीक्षक डा. सुनील कुमार पासवान ने बताया कि अस्पताल के संचालन के लिए जिले से स्टाफ आदि की तैनाती की जाएगी तभी संभव है।

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