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शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई ईद-उल-अजहा की नमाज, देश में सुख शांति के लिए मांगी दुआ

हर हैसियत मंद पर वाजिब है कुर्बानी, मौलाना जिकिरिया

 

 

 

इटियाथोक,गोंडा। फर्ज-ए-कुर्बानी का त्यौहार ईद- उल-अजहा हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार को इस्लाम धर्म के अनुयायियों ने ईदगाहों और मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की। नमाज अदा करने के बाद गले मिलकर एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी।जिसके बाद कुर्बानी का सिलसिला शुरू हुआ।ईद-उल-अजहा यानी बकरीद ईद-उल-फितर के बाद मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है।दोनों ही मौकों पर ईदगाह जाकर या मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की जाती है।ईद-उल- फितर पर सेंवई बनाने का रिवाज है,जबकि ईद-उल- अजहा पर बकरा या दूसरे हलाल जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। नौशहरा के मौलाना जिकिरिया ने बताया,कि कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्से में करने की शरीयत में सलाह है।एक हिस्सा गरीबों में तकसीम किया जाय। दूसरा हिस्सा अपने नाते रिश्तेदारों व दोस्त अहबाब के लिए इस्तेमाल किया जाय और तीसरा हिस्सा अपने घर में इस्तेमाल करना चाहिए। कुर्बानी का सिलसिला ईद के दिन को मिलाकर तीन दिनों तक चलता है। मौलाना जिकिरिया ने बताया कि कुर्बानी हर हैसियत मंद पर वाजिब है।यह कुर्बानी सीख देता है कि लोगों के दिलों में अपने मुल्क और इंसानियत के लिए कुर्बानी का जज्बा पैदा हो।कुर्बानी के लिए इंसान का दौलतमंद होना जरूरी नहीं। जिनके पास इल्म है वह अच्छा मशविरा देकर भी अपने देश और कौम की मदद कर सकते हैं।

*जिब्हे अजीम से बदली गई हजरत इस्माइल की कुर्बानी*

हजरत इस्माइल की कुर्बानी का जिक्र करते हुए कहते हैं कि उनकी कुर्बानी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुर्बानी से तब्दील की गई। मौलाना ने कहा कि हज़रत इस्माइल की पेशानी पर रसूले अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा का नूर था। इसलिए अल्लाह तआला ने हजरत इस्माइल को बचाया। आलम ए अनवार में अल्लाह ने पूछा कि हजरत इस्माइल को बचाने के लिए कौन अपनी कुर्बानी देगा। इमाम हुसैन खड़े हुए और अपनी कुर्बानी देना कबूल की। मामू भी नहीं किसी को वादा एक तिफली कहते हैं। बाद में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कर्बला में इस्लाम और अपने नाना हजरत मोहम्मद मुस्तफा के दीन को बचाने के लिए अपना घर बार भाई भतीजे दोस्त अहबाब सब कुर्बान कर दिए।

*बच्चों में रहा उत्साह*


ईद-उल-अजहा पर क्षेत्र के परसिया बहोरीपुर के ईदगाह पर माहौल किसी मेले से कम नहीं रहा। ईदगाह के इर्द-गिर्द मेले जैसा माहौल नजर आया। इसका लुत्फ बच्चों ने भरपूर उठाया।नए परिधानों में सज-धज कर निकले बच्चों ने गुब्बारों और अपने पसंदीदा खिलौनों की खरीदारी की, वहीं जगह-जगह नमाजियों को शर्बत और पानी पिलाकर सवाब कमाया गया।इससे पूर्व रविवार देर रात्रि तक बाजार में जमकर खरीदारी हुई।कुर्बानी के मद्देनजर साफ-सफाई के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।सुरक्षा के मद्देनजर इटियाथोक कोतवाली पुलिस पूरे दिन थाना क्षेत्र में मुस्तैद रही।

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