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अकबर के अधीनता स्वीकारने के चार प्रस्तावों को महाराणा प्रताप ने ठुकराया था

महाराणा प्रताप ने अधीनता स्वीकार करना तो दूर इस विषय पर बात करना भी उचित नहीं समझा

गोंडा। नगर के श्री चित्रगुप्त इंटर कॉलेज में महाराणा प्रताप की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई। कार्यक्रम में शामिल कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि दासता स्वीकार करने के लिए अकबर ने महाराणा प्रताप को चार बार प्रस्ताव भेजा,

प्रस्ताव में कहा कि आप केवल अधीनता स्वीकार कर लीजिए आपका राज्य जैसा है वैसा ही रहेगा । महाराणा प्रताप ने अधीनता स्वीकार करना तो दूर इस विषय पर बात करना भी उचित नहीं समझा। इसी इन्कार के बाद उस महायुद्ध की नींव पड़ी जिसे हम लोग हल्दीघाटी के नाम से जानते है। उन्होंने महाराणा प्रताप के त्याग, बलिदान व गौरवशाली इतिहास की याद दिलाते हुए उनके पद चिन्हों पर चलने का आह्वान किया।

 

बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं, 9 मई के बहाने महाराणा प्रताप के इस अमर इतिहास में ठीक से झांकने का अवसर मुझे भी मिला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अवधेश सिंह ने कहा कि

9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में जन्मे
महाराणा प्रताप को मुगल सल्तन से जंग विरासत में मिली, उनके पिता राणा उदय सिंह ने भी मुगल सम्राट अकबर की दासता स्वीकार नहीं की थी। उन्होंने ताउम्र स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उच्च शिक्षा चयन आयोग के सदस्य रहें प्रोफेसर शेरबहादुर सिंह ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप ने घास की रोटी तक खाया। जंगलों में विचरण करके कोल भीलों की सहायता से मुगल आताताइयों का सामना किया।

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